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येशु पादरी बजिंदर सिंह को उम्रकैद


‘येशु-येशु’ पादरी बजिंदर सिंह को उम्रकैद: 2018 रेप केस में मोहाली कोर्ट का बड़ा फैसला, जानें पूरा मामला!





पंजाब के चर्चित स्वयंभू पादरी बजिंदर सिंह को मोहाली की एक अदालत ने 2018 के रेप मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई है। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश विक्रांत कुमार ने मंगलवार, 31 मार्च 2025 को यह फैसला सुनाया। बजिंदर सिंह, जो अपने चमत्कारी दावों और ‘येशु-येशु’ प्रचार के लिए मशहूर हैं, पिछले कई सालों से विवादों के घेरे में हैं। इस सजा के बाद उनके अनुयायियों में हड़कंप मच गया है, जबकि पीड़िता और उसके परिवार ने इसे न्याय की जीत बताया है। आइए, इस मामले की पूरी कहानी और इसके पीछे के तथ्यों को विस्तार से जानते हैं।

7 साल की कानूनी लड़ाई का नतीजा

42 साल के बजिंदर सिंह को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (बलात्कार), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषी ठहराया गया। यह मामला 2018 में जीरकपुर की एक महिला की शिकायत से शुरू हुआ था। महिला ने आरोप लगाया था कि बजिंदर ने उसे विदेश ले जाने का लालच देकर अपने मोहाली के सेक्टर 63 स्थित घर पर बुलाया और वहां उसके साथ बलात्कार किया। इतना ही नहीं, उसने इस घटना का वीडियो बनाया और धमकी दी कि अगर वह उसकी बात नहीं मानेगी तो वीडियो सोशल मीडिया पर डाल देगा। कोर्ट ने 28 मार्च को उन्हें दोषी करार दिया था और सजा का ऐलान 1 अप्रैल के लिए तय किया गया था। सजा सुनाए जाने के बाद उन्हें पटियाला जेल भेज दिया गया।




पीड़िता की आपबीती: धोखे और डर की कहानी

शिकायतकर्ता महिला ने बताया कि वह 2017 में बजिंदर सिंह के संपर्क में आई थी। वह उनकी सभाओं में वॉलंटियर के तौर पर काम करती थी, जहां सिक्योरिटी की जिम्मेदारी संभालती थी। बजिंदर ने उसे विदेश ले जाने का वादा किया और इसी बहाने उसे अपने घर बुलाया। वहां उसका यौन शोषण हुआ। पीड़िता ने कहा, “उसने मुझे डराया कि वीडियो वायरल कर देगा। मैं डर के मारे चुप रही, लेकिन हिम्मत जुटाकर पुलिस में शिकायत की।” 20 जुलाई 2018 को बजिंदर को दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया, जब वह लंदन भागने की कोशिश कर रहा था। बाद में उसे जमानत मिल गई थी, लेकिन यह सजा उसके लिए बड़ा झटका है।

कोर्ट का फैसला: 5 आरोपी बरी, एक की मौत

इस मामले में बजिंदर के साथ 6 अन्य लोग भी आरोपी थे। इनमें अकबर भट्टी, जतिंदर कुमार, सितार अली, राजेश चौधरी और संदीप पहलवान शामिल थे। कोर्ट ने सबूतों के अभाव में इन पांचों को बरी कर दिया। छठा आरोपी सुच्चा सिंह ट्रायल के दौरान मर चुका है। पीड़िता के वकील अनिल सागर ने कहा, “बजिंदर को धारा 376 के तहत दोषी ठहराया गया है। यह सजा एक मिसाल है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।” कोर्ट ने बजिंदर की दया याचिका खारिज करते हुए कहा कि एक धार्मिक नेता का ऐसा अपराध अस्वीकार्य है।

पीड़िता की गुहार: “वह फिर अपराध करेगा”

सजा के बाद पीड़िता ने कहा, “बजिंदर एक सनकी है। अगर वह जेल से बाहर आया तो फिर वही करेगा। आज बहुत सारी लड़कियों को इंसाफ मिला है।” उसने पंजाब के डीजीपी से अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा की गुहार लगाई है। पीड़िता के पति, जिन्होंने 7 साल तक यह लड़ाई लड़ी, ने कहा, “हमें फर्जी केस में फंसाया गया, हमला हुआ, मैं 6 महीने जेल में रहा, लेकिन न्यायपालिका पर भरोसा था। आज हमारी जीत हुई।” परिवार का कहना है कि बजिंदर ने कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की और विदेश यात्राएं भी कीं, जबकि उसे ऐसा करने की इजाजत नहीं थी।

बजिंदर सिंह का विवादित सफर

हरियाणा के यमुनानगर में जन्मे बजिंदर सिंह ने जालंधर और मोहाली में ‘चर्च ऑफ ग्लोरी एंड विजडम’ की स्थापना की। वह खुद को ‘प्रॉफेट’ कहते हैं और चमत्कारों के दावे करते हैं। उनकी सभाओं में सिलेब्रिटी भी शिरकत करते रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में उन पर कई संगीन आरोप लगे। 2022 में दिल्ली के एक परिवार ने उन पर ठगी का केस दर्ज किया था, जिसमें कहा गया कि बजिंदर ने उनकी बेटी को ठीक करने का वादा करके पैसे ऐंठे। 28 फरवरी 2025 को कपूरथला में 22 साल की एक युवती ने उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। इसके अलावा, मार्च 2025 में एक वायरल वीडियो में वह एक महिला को थप्पड़ मारते दिखे थे, जिसके बाद मोहाली पुलिस ने मारपीट का केस दर्ज किया।

एक और रेप केस लंबित

बजिंदर पर दूसरा रेप केस भी चल रहा है। फरवरी 2025 में एक 22 साल की युवती ने कपूरथला पुलिस में शिकायत दर्ज की थी कि बजिंदर ने उसका यौन शोषण किया। पुलिस ने इसकी जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम बनाई थी। बजिंदर ने इन आरोपों को झूठा बताया था और दावा किया था कि वायरल वीडियो फर्जी है। लेकिन पीड़ितों का कहना है कि पुलिस की सुस्ती और धमकियों की वजह से उन्हें इंसाफ के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा।

समाज में बहस: चमत्कार या छल?

बजिंदर की सजा ने उनके अनुयायियों और आलोचकों के बीच बहस छेड़ दी है। जहां कुछ लोग उन्हें चमत्कारी मानते हैं, वहीं कई उन्हें ढोंगी और अपराधी करार दे रहे हैं। पीड़िता के वकील ने कहा, “ऐसे लोग आस्था का फायदा उठाते हैं। इस सजा से समाज को संदेश मिलेगा।” यह मामला न सिर्फ बजिंदर के काले कारनामों को उजागर करता है, बल्कि धार्मिक नेताओं की जवाबदेही पर भी सवाल उठाता है। अब सबकी नजर इस बात पर है कि क्या दूसरा केस भी इस तरह का नतीजा देगा।